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 :- Click below to  Listen audio  जुबां से कुछ ना बोले पर तिरंगा जानता सब है :                                                      TRANSLATE BY -RAHUL KUMAR मुझे सम्मान देने को सजाया तीन रंगो में  मगर अपमान भी किया है तुमने भरपूर दंगो में  कभी थे गोधरा के घर मेरे अरमान के आँशु   कभी गुजरात की आँहे वो अक्षरधाम के आँशु  ये आँशु की इबारत मेरी आँखों ने गाया है  कभी रोया हुँ मै छिपकर कभी मुझको रुलाया है  जलाने वालो की तासीर को पहचानता सब है  जुबां से कुछ ना बोले पर तिरंगा जानता सब है अहिंसा की दुहाई दे तुम हिंसा पर उतर आये  जिन्हे मैंने नकारा तुम वो सारे काम कर आये   ना जाने कौन मजहब के रसते से गुजर आये  कबूतर नेहरू ने छोड़े तुम उनके पर कुतर आये  किसी ने बात कब मानी हैं  मस्जिद और शिवालय की  मुसीबत कौन समझे उनके भीतर...